वित्तीय वर्ष 2024-25 में कमाया एक करोड़ का शुद्ध मुनाफा
दून सिल्क ब्रांड नाम से बेचे गये 2.34 करोड़ के रेशमी उत्पाद
उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन में ‘कम्प्लीट वैल्यू चेन’ प्रणाली लागू होने से फेडरेशन की व्यावसायिक गतिविधियों में भारी सुधार देखने को मिला। फेडरेशन के द्वारा रेशम उत्पादन, धागा निर्माण, डिजाइनिंग, पैकेजिंग और विपणन पर फोकस करते हुये वित्तीय वर्ष 2024-25 में ‘दून सिल्क’ ब्रांड नाम से 2.34 करोड़ के रेशमी उत्पाद और धागों का विक्रय किया। जिससे फेडरेशन ने एक करोड़ से अधिक का शुद्ध लाभ कमाया, जो कि रेशम फेडरेशन की बड़ी उपलब्धि है।
सूबे के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन के चलते उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। रेशम फेडरेशन में कम्प्लीट वैल्यू चेन प्रणाली लागू होने से फेडरेशन की व्यावसायिक गतिविधियों को बल मिला, जिससे रेशमी उत्पादों के निर्माण व विक्रय में खासी वृद्धि हुई।
इसके अलावा कम्प्लीट वैल्यू चेन के जरिये धागा निर्माण, डिजाइनिंग, पैकेजिंग और विपणन आदि क्षेत्रों पर भी फोकस किया गया। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि फेडरेशन के तहत विगत वर्ष 1500 किलो रेशम धागा का उत्पादन किया गया। इसके साथ ही बुनकरों, टिविस्टरों व समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर रेशम वस्त्रों का उत्पादन किया गया। जिन्हें फेडरेशन ने अपने ब्रांड ‘दून सिल्क’ के रिटेल काउंटरों पर बेचा गया।
विभाग के मुताबिक पिछले वित्तीष वर्ष में फेरडेशन द्वारा लगभग 2.34 करोड़ के रेशमी उत्पाद व धागों का विक्रय किया गया, जिससे फेडरेशन ने एक करोड़ से अधिक का मुनाफा कमाया, जो कि फेडरेशन की बड़ी उपलब्धि है।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक फेडरेशन के माध्यम से प्रदेशभर में 6500 से अधिक शहतूती रेशन कीटपालक कीटपालन का काम कर रहे हैं, जिसमें से फेडरेशन के प्राथमिक सहाकारी समितियों के 80 फीसदी कीटपालकों के द्वारा प्रतिवर्ष 3 लाख किलो रेशम कोया उत्पादित किया जा रहा है। कम्प्लीट वेल्यू चेन प्रणाली के तहत सेलाकुई ग्रोथ सेंटर में कीटपालकों से क्रय कोया से रेशमी धागों का उत्पादन कर स्थानीय बुनकरों के माध्यम से हैण्डलूम, पावरलूम व अन्य बुनाई विधाओं से विभिन्न प्रकार के रेशमी वस्त्रों का उत्पादन किया जाता है, जिन्हें फेडरेशन के द्वारा दून सिल्क ब्रांड नाम से बाजार में बेचा जा रहा है।
वेस्ट से बेस्ट योजना
इस योजना के तहत धागाकरण के उपरांत खराब रेशम कोयों की खपत सुनिश्चित करना है और कटघई के माध्यम से हैण्ड स्पन धागे का उत्पादन करना है। जिससे एक ओर जहां फेडरेशन के उत्पादन प्रक्रिया में अनुपयोगी खराब रेशम कोयों को उपयोग में लाया जायेगा वहीं दूसरी ओर जनजातीय समुदायों की महिलाओं को रोजगार भी प्राप्त होगा। इससे प्राप्त होने वाले धागे से बने मफलर एवं मिश्रित शॉल का उत्पादन किया जायेगा, जिसकी बाजार में भारी डिमांड है।