https://gangakhabar.com/wp-content/uploads/2025/09/Vertical_V1_MDDA-Housing.mp4
https://gangakhabar.com/wp-content/uploads/2025/09/MDDA_Final-Vertical_2.mp4
मुख्यमंत्री ने दी प्रदेशवासियों को धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा एवं भैयादूज की शुभकामनाएँ
सरकार

मुख्यमंत्री ने दी प्रदेशवासियों को धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा एवं भैयादूज की शुभकामनाएँ

October 17, 2025
राज्य के सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने अपने खिलाफ चल रही भ्रामक खबरों को लेकर अपनाया सख्त रुख
शासन -प्रशासन

राज्य के सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने अपने खिलाफ चल रही भ्रामक खबरों को लेकर अपनाया सख्त रुख

October 17, 2025
आढ़त बाजार पुनर्विकास परियोजना पर एमडीडीए की समीक्षा बैठक, 3 नवंबर से भू-खंड आवंटन व नकद प्रतिकर कार्य प्रारंभ
शासन -प्रशासन

आढ़त बाजार पुनर्विकास परियोजना पर एमडीडीए की समीक्षा बैठक, 3 नवंबर से भू-खंड आवंटन व नकद प्रतिकर कार्य प्रारंभ

October 15, 2025
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिला पंचायत सभागार, चंपावत में प्रबुद्ध नागरिकों एवं वरिष्ठजनों के साथ संवाद किया
सरकार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिला पंचायत सभागार, चंपावत में प्रबुद्ध नागरिकों एवं वरिष्ठजनों के साथ संवाद किया

October 15, 2025
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रद्धालुओं के दल को गंगोत्री धाम के लिए किया रवाना
धर्म

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रद्धालुओं के दल को गंगोत्री धाम के लिए किया रवाना

October 14, 2025
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के काॅर्डियोलाॅजी टीम की बड़ी उपलब्धि
स्वास्थ्य

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के काॅर्डियोलाॅजी टीम की बड़ी उपलब्धि

October 14, 2025

Contact Us:

Name-Minakshi
Mail-gangakhabaruk@gmail.com
Add-107 kunj vihar Near Negi shop haridwar road kargi chock Dehradun
Mob-8958506929,8273172225

https://gangakhabar.com/wp-content/uploads/2025/09/Vertical_V1_MDDA-Housing.mp4
https://gangakhabar.com/wp-content/uploads/2025/09/MDDA_Final-Vertical_2.mp4
  • Login
Ganga Khabar
Advertisement
  • देश -विदेश
  • राज्य
  • सरकार
  • राजनीति
  • शासन -प्रशासन
  • क्राइम
  • शिक्षा
  • रोजगार
  • स्वास्थ्य
  • पर्यटन
  • सनातन
Saturday, October 18, 2025
  • देश -विदेश
  • राज्य
  • सरकार
  • राजनीति
  • शासन -प्रशासन
  • क्राइम
  • शिक्षा
  • रोजगार
  • स्वास्थ्य
  • पर्यटन
  • सनातन
No Result
View All Result
Ganga Khabar
  • देश -विदेश
  • राज्य
  • सरकार
  • राजनीति
  • शासन -प्रशासन
  • क्राइम
  • शिक्षा
  • रोजगार
  • स्वास्थ्य
  • पर्यटन
  • सनातन
Home राज्य

जानें महाराजा सूरजमल के बारें में महत्वपूर्ण जानकारी एवं ऐतिहासिक रोचक तथ्य ………

GangaKhabar by GangaKhabar
December 25, 2023
in राज्य
जानें महाराजा सूरजमल के बारें में महत्वपूर्ण जानकारी एवं ऐतिहासिक रोचक तथ्य ………
1
VIEWS
देहरादून : महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी 1707 में हुआ था। यह इतिहास की वही तारीख है, जिस दिन हिन्दुस्तान के बादशाह औरंगजेब की मृत्यु हुई थी। मुगलों के आक्रमण का मुंह तोड़ जवाब देने में उत्तर भारत में जिन राजाओं का विशेष स्थान रहा है, उनमें राजा सूरजमल का नाम बड़े ही गौरव के साथ लिया जाता है।
  •  बचपन का नाम:- सुजान सिंह
  • जन्म:- 13 फरवरी 1707
  • मृत्यु:- 25 दिसम्बर 1763
  • पूरा नाम:- श्री महाराज विराजमान बृजेन्द्र महाराज सुजान सिंह जी बहादुर
  • अन्य नाम:- भूपाल पालक भूमिपति बदनेश नँद सुजान, सिंह सूरज कुमार, सिंह सूरज सुजान, रविमल्ल आदि
  • पिताश्री:- राजा बदन सिंह
  • पितामह का नाम:- श्री भाव सिंह सिनसिनिवार (सिनसिनी के राव चूड़ामन जी के भ्राता)
  • माता का नाम:- रानी देवकी जी
  • नानाश्री का नाम:- कॉमर के चौधरी अखेराम सिंह
  • प्रमुख शिक्षक- आचार्य सोमनाथ जी
  • कद- 7 फुट 2 इंच
  • वजन- लगभग 150 किलोग्राम
  • शरीर की बनावट- सुडौल, मजबूत, गठीली,शाही तेवर वाली मोटी आंखे, चौड़ा ललाट, लम्बी रौबदार मूंछे, लंबे तगड़े और वजनदार आवाज दबंग छवि, सुंदर नैन नक्श।
  • राज्य:- जटवाड़ा
  • राजधानी:- भरतपुर(लोहागढ़), डीग(सर्दी के मौसम में)
  • ध्वज- महल पर पीताम्बर ध्वज, किले पर भगवा कपिध्वज, युद्ध में भगवा और केसरिया ध्वज।
  • कुलदेवता- श्रीकृष्ण भगवान
  • कुलदेवी- राज राजेश्वरी कैला देवी
  • वंश प्रवर्तक- शूरसेन (सिनसिना) बाबा
  • पत्नी:- महारानी किशोरी बाई,महारानी खेतकौर, महारानी गंगिया, रानी हंसिया, रानी गौरी, रानी कल्याणी आदि
  • पुत्र:- जवाहर सिंह, रतनसिंह, नाहर सिंह, रणजीत सिंह, नवल सिंह
  • भ्राता- महाराजा सूरजमल जी के 25 अन्य भ्राता थे जिनमें से वैर राजा प्रताप सिंह उनके सहोदर (अर्थात रानी देवकी से ही) भ्राता थे।
  • उपाधि:- कुंवर ब्रजराज बृजेन्द्र बहादुर भूमिपति भूपाल
  • युवराज:-1748
  • शासनकाल:- 1755-1763
  • शासन अवधि :- 8 वर्ष, वैसे कुंवर पद ग्रहण करते ही उन्होंने राज्य सम्भालना शुरू कर दिया था। 1748 में सूरजमल युवराज बनाये गए तब तो बदन सिंह नाम मात्र के ही राजा थे उन्होंने सब कार्य उन्हें सम्भलवा दिया था क्योंकि उनकी आंखों में समस्या हो गयी थी लेकिन जाटो में पिता के जीवित रहते बेटा चौधर ग्रहण नहीं करता इसलिए मोहर उनके नाम की चलती थी। इसलिए उनके शासन को 1748 से गणना की जाए तो 15 वर्ष होता है।
  • पूर्वाधिकारी:- राजा बदन सिंह
  • उत्तराधिकारी:- महाराजा जवाहर सिंह।
  • राजघराना:- जाट राजवंश
  • वंश:- कृष्ण वंशी शूरसेनवार/वृष्णि (सिनसिनिवार)
  • दस वर्ष की आयु में ही महाराजा सूरजमल जी ने सेना व दरबार के कार्यो में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था।
  • उन्होंने अपने जीवनकाल में लगभग 80 युद्धों में भाग लिया जिनमें वे कभी भी नहीं हारे। इसी कारण उन्हें अजेय महायौद्धा कहा जाता है। उनके कुछ प्रमुख युद्ध इस प्रकार है:
  • 1726 में उन्होंने सोगरगढ़ी पर अधिकार किया
  • 1730 में मेण्डु पर अधिकार किया।
  • उन्होंने 1731 में छोटी सी उम्र में मेवात पर अधिकार कर  लिया था।
  • टप्पा डाहरा युद्ध में मिर्जा दावर जंग ने उनकी तलवार के आगे आत्म समर्पण कर दिया था।
  • उनकी तलवार ने खोहरी में भी दुश्मनों पर विजय प्राप्त कर ली थी
  • 1738 में मथुरा आगरा के फरह, ओल अछनेरा व कुछ अन्य क्षेत्रों को आजाद करवाया।
  • फरीदाबाद में मुर्तजा खां को हराया।
  • 1739 में नादिरशाह के विरुद्ध दिल्ली की सहायता की और नागरिकों को शरण देकर उनकी सुरक्षा भी की।
  • 1740, 41, 44 में गंगवाना युद्ध में, जोधपुर व कोटा के विरुद्ध आदि कई बार जयपुर राज्य की मदद की।
  • 1745 में अली मुहम्मद रुहेले को हराया।
  • 1745/46 में उन्होने दिल्ली नवाब के सेनानायक अफगानी नवाब असद खां को धूलचटाई थी। असदखां युद्ध में मारा गया था।
  • 1748 में उन्होंने #जयपुर के राजा ईश्वरी सिंह के पक्ष में लड़ाई लड़ी और उनकी विरोधी #7 सेनाओं को एक साथ बुरी तरह से हरादिया था व ईश्वरी सिंह राजपूत को जयपुर का ताज दिलाया था।
  • 1749 में #दिल्ली के वजीर सफदरजंग को हराया। वजीर उनके खौफ से लड़ने ही न पहुंचा था।
  • 1750 में मीर बक्शी सलावत खां को हराया और दुष्ट हाकिम खा मार डाला।
  • 1750 में वजीर सफदरजंग को फिर से मैदान में हराया।
  • 1750 में रुस्तम खां मार गिराया और अहमद खां बंगश को धूल चटाई।
  • 1751 में बहादुर खां मार गिराया।
  • 1752 में नवाब जावेद खां को धूल चटाई।
  • 1752 में फकीरअली व मुगलो खदेड़कर सिकंदराबाद व दनकौर पर शाही अधिकार खत्म कर दिया।
  • 1753 में ही पलवल में इमाद को हराकर वहां काजी को भी पकड़ लिया था।
  • 1753 में घासेड़ा के बहादुर सिंह पर विजय- बहादुर सिंह घासेड़ा का जागीरदार था जो बार बार महाराजा सूरजमल के विरुद्ध अभियानों में हिस्सा लेता था। महाराज के बार बार समझाने पर भी नहीं मानने पर व सीमा में घुसपैठ करने पर महाराज ने उस पर आक्रमण की ठानी। इसी बीच जब वे दिल्ली पर आक्रमण करने जा रहे थे उसी समय बहादुर सिंह के कुछ लोगो ने महाराजा सूरजमल जी के राज्य में लूटपाट की व ऊंट चुरा लिए। महाराज ने बहादुर सिंह को कार्यवाही करने व ऊंट लौटाने को कहा। न मानने पर उन्होंने आक्रमण कर दिया। बहादुर सिंह हार की कगार पर था। युद्ध के बीच में भी सन्धि की कोशिश महाराज द्वारा की गई सन्धि हुई लेकिन कुछ ही देर में बहादुर सिंह का मन पलट गया और उसने अपनी दोनो पत्नियों को जौहर करवा दिया व बाहर निकलकर महाराजा सूरजमल की सेना पर टूट पड़ा। जिसमें उसकी हार हुई व वह युद्ध में मारा गया। इस तरह घासेड़ा पर उन्होंने विजय प्राप्त की।
  • 1753 में उन्होंने दिल्ली के वजीर सफदरजंग को उकसाकर उसके साथ मिलकर दिल्ली पर आक्रमण कर लिया था व दिल्ली का एक बड़ा क्षेत्र अपने कब्जे में कर लिया था और मुगल बादशाह बार पत्र लिखकर गिड़गिड़ा रहा था रहम की भीख मांग रहा था। अंत में सफदरजंग की निष्क्रियता व जयपुर के राजा के बीच में आने के कारण उन्हें सन्धि करनी पड़ी। सन्धि उन्ही की शर्तों पर हुई।
  • 1754 में कुम्हेर में मराठा एवं मुगल सेना ने कुम्हेर पर आक्रमण कर दिया था। इस युद्ध में खांडेराव होलकर मारा गया। बाद में सन्धि हो गयी थी। महाराज ने खांडेराव की छतरी बनवाई भले ही वे उनके साथ युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए हो।
  • 1757 में उन्होंने मथुरा वृन्दावन व भरतपुर में से अब्दाली को अकेले ही निकाल फेंका था। अब्दाली से बल्लभगढ़, भरतपुर,कुम्हेर, चौमुंहा, गौकुल में एक साथ युद्ध लड़ा धर्मनगरी की अकेले ही रक्षा की। अबदाली ने बहुत नरसंहार किया और उन्होंने उसका निडर होकर सामना किया। हजारों जाटो ने धर्मनगरी की रक्षा हेतु बलिदान दिया। अंत में अब्दाली कुम्हेर के किले पर घेरा डालकर बहुत दिन बैठा रहा और लोहागढ़ की तरफ बढ़ने की उसकी हिम्मत न हुई। अंत में सूरजमल का रणनीतिक व धमकी भरा पत्र पढ़कर वह समझ गया कि ये शासक उससे रत्ती भर भी न डरने वाला और जाटो की तलवारों की नोको से डरकर वह वापिस लौट गया था।
  • 1757 में फरुखनगर के नवाब अफगानी मूसा खान को हराया।
  • उन्होंने मुगलो व अफगानों बलूचों से रोहतक झज्जर गुड़गांव पलबल फरीदाबाद रेवाड़ी आदि हरियाणा के बहुत से क्षेत्र जीत लिए थे, उत्तर प्रदेश में पूरा ब्रिज क्षेत्र और वेस्ट यूपी, राजस्थान में भरतपुर धोलपुर अलवर आदि,अलीगढ़,एटा, मैनपुरी,आगरा, मेरठ, मुजफरनगर,मथुरा आदि। दिल्ली में पालम व गाजियाबाद तक उनका राज हो गया था। मुगल कुछ ही हिस्से में सिमट गई थे जिसके कारण मुगलो की लोग खिल्ली उड़ाने लग गए थे। मुगलो को कमजोर करने व उनका शासन अंत करके भारत को आजाद करवाने में उनका मुख्य योगदान रहा है। अगर ये कहें कि मुगलो का खौफ भारत से मिटाने वाले महाराजा सूरजमल जी थे तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नही होगी।
  • 1761 में जब अब्दाली को मराठो से लड़ने के लिए बुलाया गया तब मराठो का किसी भी हिन्दू राजा ने साथ न दिया केवल महाराजा सूरजमल ने साथ दिया जिस कारण पेशवा ने उन्हें हिंदुस्तान का एकमात्र मर्द मानस कहा था।जबकि 1757 में यही अब्दाली जब मथुरा वृन्दावन लूट रहा था तो महाराजा सूरजमल इससे अकेले लड़े थे मराठे भी उनका साथ देने नही आए थे। फिर भी वे सब भूलकर उनके साथ आये। उन्होंने मराठो का दिल्ली विजय तक साथ दिया और 1 महीने तक का पूरा खर्च अपने खजाने से दिया। दिल्ली विजय तक उन्होंने मराठो का तन मन धन से हर युद्ध में साथ दिया। बाद में भाउ से उनके रणनीतिक मतभेद हो गए।
  • उन्होंने कहा कि ठंड में आप लड़ न पाओगे और अब्दाली ठंड में लड़ने का आदि है इसलिएहम गुरिल्ला युद्ध करे और उसे पंजाब के दूसरी तरफ ही उलझाकर रखें थोड़े दिन में मौसम बदल जायेगा अब्दाली से गर्मी सहन न होगी मौसम हमारे पक्ष में होगा।औरतों व भारी सामान को साथ न रखें वरना आधी फौज उनकी सुरक्षा में लगेगी और लड़ने वाले निश्चिंत होकर न लड़ पाएंगे। इसलिये उन्हें ग्वालियर भेज दें या मेरे किसी किले में रखे उनकी सुरक्षा व उनका खर्च मैं वहन करूँगा।
  • दिल्ली मुझे दें व गाजीउद्दीन को वजीर बनाएं जिससे मुस्लिमो का भावनात्मक साथ मिल सके व अबदाली कमजोर हो और रसद न रुके।
  • मुगल दरबार की छत को लालच में मत तोड़ें इससे लोगो की भावनाएं जुड़ी है अब्दाली इसे इस्लाम से जोड़कर यहां के मुस्लिमो को साथ ले जाएगा। जब न माना गया तो यह तक कहा कि इसे न तोड़ने के बदले मेरे खजाने से 5 लाख रुपये मैं दे दूंगा। जब जब उन्होंने ये सब सुझाव दिए तो उनके इनमें से किसी भी सुझाव को न माना गया और भाउ से उनके आपसी मतभेद हुए। आपस में हर बार गरमा गर्मी वाली बहस हो गयी। भाउ ने उनका शाब्दिक रूप से अपमान भी किया व कहा कि तुम्हारे सहारे उत्तर में नही आया हूँ, मेरी मर्जी होगी वह करूँगा।
  • इस तरह की बार बार बहस होने से भाउ चिढ़ गए जबकि के सब सुझाव मराठो के हित में ही थे और उन्होंने उन्हें बन्दी बनाने की गुप्त योजना बना ली। होलकर व सिंधिया ने यह बन्दी बनाने बात महाराज को बता दी व उन्हें आगामी झगड़ा न हो इसलिए वापिस लौटने का आग्रह किया। तब महाराजा सूरजमल जी को मजबूरन वापिस लौटना पड़ा। बता दे कि उन्होंने साथ छोड़ा नहीं था बल्कि उन्हें मजबूरन जाना पड़ा था।
  • मराठो को शरण व उनकी सहायता- युद्ध के पश्चात उन्होने भाउ की पत्नी पार्वतीबाई और व उनके परिवार और हजारों मराठा सैनिकों को घायल व भूख की अवस्था में शरण दी और उनकी सेवा की, उनका इलाज करवाया, खाना, रहना और कपड़े सबका प्रबंध किया। उस समय लगभग 10 लाख रुपये खर्च किये थे। और मराठो को सुरक्षित महाराष्ट्र तक पहुंचाया। मराठो को छोड़ने गए कुछ जाट सैनिक वहीं रह गए थे उनके वंशजो के आज भी महाराष्ट्र के नासिक में उन जाट सैनिकों 22 गांव मौजूद हैं। मराठो ने इस अहसान के कारण जाटो को सच्चा यार कहा था व महारानी किशोरी देवी को अपनी बहन माना था। क्योंकि इतने मतभेद के बाद व भाउ के द्वारा बन्दी बनाने के षड्यंत्र के बाद भी उन्होंने मन में मैल न रखा और उनकी मदद की।
  • 1761 में आगरा में मुगल सेनापति फ़ाजील खां को हराकर वहां के लाल किले पर कब्जा जमाया। मुगल फौजदार उनके आक्रमण से पहले ही उनसे डरकर भाग गया था और ताजमहल की कब्रो पर घोड़े बांध दिए थे।
  • फरुखनगर के मसावी खां बलूच को हराया और उसे कैद करके जेल में डाल दिया।
  • 1763 में एक बार फिर उन्होंने दिल्ली पर आक्रमण कर दिया था व एक ब्राह्मण कन्या की रक्षा की थी। 24 दिसम्बर तक उन्होने दिल्ली जीत ली थी। ज्यादातर हिस्सो पर उनका कब्जा था बस कुछ युद्ध ही शेष था।
  • 25 दिसम्बर 1763 के युद्ध के दौरान वे अपने पुत्र नाहर सिंह को कमान देकर अकेले ही हिंडन नदी पर घूमने निकल गए थे तो पीछे से कुछ मुगल सैनिकों ने झाड़ियों से उन पर गोलियों की बौछार कर दी थी। फिर भी वे घायल अवस्था में अकेले ही उनसे वीरता से लड़े और एक लंबे संघर्ष के पश्चात वीरगति की प्राप्त हुए थे।
  • निर्माण कला:- महाराजा सूरजमल भवज निर्माण कला के बहुत बड़े ज्ञाता एवं जानकार थे। उन्होंने डीग, भरतपुर, कुम्हेर आदि समेत ब्रज में कई भव्य किलों का निर्माण किया। भरतपुर के लोहागढ़ किला तो ऐसी सामरिक बनावट में बना के उसे कभी कोई नहीं जीत सका। उन्होंने अनेकों महल बनवाएं जिनमें डीग के जलमहल, भरतपुर के महल प्रसिद्ध है।
  • उन्होंने गोवर्धन में भव्य सरोवर व मन्दिर बनवाये, मथुरा वृन्दावन, नन्दगाँव आदि में उन्होंने अनेको मन्दिर बनवाएं व अनेको मन्दिरो का जीर्णोद्धार किया। अब्दाली व मिगलो द्वारा तोड़े गए सभी मन्दिर व घाट फिर से बनवाएं। मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि मन्दिर भी आधी मस्जिद तोड़कर उन्होंने बनवाया था।
  • बयाना की उषा मस्जिद हटाकर फिर से उसे उषा मन्दिर बनाया था। गुरुग्राम का शीतला माता मंदिर भी उन्होंने बनवाया था। दिल्ली में पहाड़ी धीरज पर शिव मंदिर बनवाया था।मथुरा के ज्यादातर घाटों की सुंदरता उनके कारण ही है।भरतपुर में बांके बिहारी मंदिर, कैला देवी मंदिर, लक्ष्मण मन्दिर आदि भव्य निर्माण कला के नमूने हैं।
  • राज्य विस्तार:- भरतपुर धौलपुर समेत राजस्थान के कुछ हिस्से, आधा हरियाणा, वेस्ट यूपी, ब्रिज प्रदेश और दिल्ली के कुछ हिस्से उनके राज्य का हिस्सा था।
  • महाराजा सूरजमल जी को उनके धर्म हेतु किये गए कार्यों के लिए हिंदुआ सूरज व हिन्दू ह्रदय सम्राट के नाम से जाना जाता है।
  • उनके राज्य में गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध था बताते हैं कि उनके खौफ से अवध के नवाब ने भी गौहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था।
  • उनके राज्य में ऊंची आवाज में अजान देने पर प्रतिबंध था। उन्होने बहुत से धर्मपरिवर्तित हिन्दुओ को वापिस हिन्दू बनाया था। दलितों को भी पूरा सम्मान दिया था उनका खजांची दलित चर्मकार जाति से था।
  • जब भी देश के किसी भी हिस्से पर किसी विदेशी आक्रांता ने आक्रमण किया तो उन्होंने दिल खोलकर उससे पीड़ितों को शरण दी व उन्हें सुरक्षा दी।
  • उन्होने हमेशा गौ, ब्राह्मण, अबला, मन्दिर और साधु संतों की रक्षा की। दूर दूर से बहुत से साधु व विद्वान और कलाप्रेमी उनके राज्य में आते थे और फलते फूलते थे।
  • वे दोनों हाथों से तलवार चलाने में माहिर थे, उन्हें धनुष बाण भाला बन्दूक तोप आदि सब अस्त्र शस्त्रों का ज्ञान था।
  • उनकी एक लाखा तोप तो इतनी शक्तिशाली थी कि वह भरतपुर से ही आगरा के लाल किले पर निशाना साधने में सक्षम थी।
  • महाराज सूरजमल जी श्रीकृष्ण भगवान, लक्ष्मण और हनुमान जी बहुत बड़े भक्त थे। उनके किले पर भगवा कपिध्वज लहराता था।उन्होंने दिल्ली को आजाद करवाने के लिए  दो बार आक्रमण किये व दिल्ली को जीत लिया। ज्यादातर हिस्सो पर कब्जा कर लिया था परंतु अंत में कुछ गद्दारो के कारण उन्हें सन्धि करनी पड़ी, हालांकि सन्धि उनकी शर्तो पर ही हुई। दूसरी बार उन्हें धोखे से पीछे से गोली चलाकर मार दिया था।
  • उनकी मृत्यु के बाद भी कई दिनों तक मुगलो को यकीन ही नहीं हुआ था, यह सबूत मिलने पर भी खौफ से उन्होंने कई दिनों तक इस बात को छुपाए रखा था।
  • उनका लोहागढ़ किला देश का एकमात्र अजेय किला है जिसे अफगान मुगल रुहेले कोई नहीं जीत पाया। उनके बेटे रणजीत सिंह के कार्यकाल में आंग्रेजो ने 13 बार इस किले पर आक्रमण किया परन्तु अंग्रेजो को हर बार मुंह की खानी पड़ी।
  • वे जब भी कोई मुगल अफगान रुहेला आदि कोई युद्ध में उनके आगे #नतमस्तक होता था तो वे उसके आगे ये शर्ते अवश्य रखते थे कि- वह किसी भी मन्दिर को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, गौहत्या न करेगा न होने देगा, न ही किसी का धर्मपरिवर्तन करवाएगा, किसी भी साधु संत अबला व गरीब को तंग नहीं करेगा, पीपल के पेड़ को कभी नहीं काटेगा।
  • महाराजा सूरजमल देश के ऐसे एकमात्र राजा थे जिन्होंने मुगलो से दिल्ली को आजाद करवाने के लिए दो बार आक्रमण किये और मुगलो के बुरी तरह से  छक्के छुड़ाए।
  • अब्दाली जब 1757 में मथुरा वृन्दावन लुटने आया और यमुना का पानी लोगो के खून से लाल कर दिया था तो उससे लोहा लेने वाले वे एकमात्र राजा थे और उसे धर्मनगरी से निकालकर ही दम लिया था।

तभी तो कहा जाता है कि

“नहीं सही जाटनी ने व्यर्थ प्रसव की पीर।

जन्मा उसके गर्भ से सूरजमल सा वीर।।”

  • महाराजा सूरजमल को उनके बलिदान दिवस पर वीरोचित श्रद्धांजलि!!

लेखक : नरेन्द्र सिंह चौधरी, भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. इनके द्वारा वन एवं वन्यजीव के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं.

Previous Post

चमोली : जब पुलिस हुई चौकन्नी, तो तस्करों ने की हवाई मार्ग से अवैध स्मैक की तस्करी शुरू, एक को किया गिरफ्तार

Next Post

लोक गायिका हेमा करासी के जागरो पर थिरके बंड मेले में आये लोग, लोकगायक अमित सागर नें भी दी अपनी गीतों की प्रस्तुति

GangaKhabar

GangaKhabar

Related Posts

मुख्यमंत्री धामी ने नगर निगम द्वारा संचालित वैक्यूम वेस्ट रोड स्वीपिंग मशीन का किया उद्घाटन
राज्य

मुख्यमंत्री धामी ने नगर निगम द्वारा संचालित वैक्यूम वेस्ट रोड स्वीपिंग मशीन का किया उद्घाटन

September 26, 2025
चमोली के नंदा नगर में फटा बादल
राज्य

चमोली के नंदा नगर में फटा बादल

September 18, 2025
वात्सल्य योजना के तहत 4 करोड़ 47 लाख खातों में ट्रांसफर
राज्य

वात्सल्य योजना के तहत 4 करोड़ 47 लाख खातों में ट्रांसफर

September 6, 2025
महिला सशक्तिकरण के लिए समर्पण के साथ कार्य करती रहेगी सरकार – मुख्यमंत्री
राज्य

महिला सशक्तिकरण के लिए समर्पण के साथ कार्य करती रहेगी सरकार – मुख्यमंत्री

September 4, 2025
पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष दीपक पुंडीर को श्रद्धांजलि अर्पित करते कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी
राज्य

पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष दीपक पुंडीर को श्रद्धांजलि अर्पित करते कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी

August 31, 2025
आपदा की घड़ी में रुद्रप्रयाग के साथ सौरभ बहुगुणा, स्थलीय निरीक्षण कर बोले– ‘हर परिवार को मिलेगी मदद
राज्य

आपदा की घड़ी में रुद्रप्रयाग के साथ सौरभ बहुगुणा, स्थलीय निरीक्षण कर बोले– ‘हर परिवार को मिलेगी मदद

August 30, 2025
Next Post
लोक गायिका हेमा करासी के जागरो पर थिरके बंड मेले में आये लोग, लोकगायक अमित सागर नें भी दी अपनी गीतों की प्रस्तुति

लोक गायिका हेमा करासी के जागरो पर थिरके बंड मेले में आये लोग, लोकगायक अमित सागर नें भी दी अपनी गीतों की प्रस्तुति

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

https://gangakhabar.com/wp-content/uploads/2025/09/Vertical_V1_MDDA-Housing.mp4
https://gangakhabar.com/wp-content/uploads/2025/09/MDDA_Final-Vertical_2.mp4
Free website hits
  • About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact
Contect us : Support@gangakhabar.com
Contact Us,
Minakshi
Add-107 kunj vihar Near Negi shop haridwar road kargi chock Dehradun
Mob-8958506929,8273172225
E-Mail-gangakhabaruk@gmail.com

No Result
View All Result
  • देश -विदेश
  • राज्य
  • सरकार
  • राजनीति
  • शासन -प्रशासन
  • क्राइम
  • शिक्षा
  • रोजगार
  • स्वास्थ्य
  • पर्यटन
  • सनातन

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In