“महज कुछ ही दिनों में सीएम धामी ने किए 32 से अधिक चुनावी कार्यक्रम
दिल्ली में विधानसभा के चुनाव प्रचार का शोर पूरी तरह से थम चुका है लेकिन इस चुनाव प्रचार की गूंज अभी भी दिल्ली की गलियों में बाकी है और इसी गूंज में एक नाम सबके सामने है पुष्कर सिंह धामी।
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड निकाय चुनावों में भाजपा की ऐतिहासिक जीत का रंग चढ़ा ही था कि पुष्कर सिंह धामी दूसरी जिम्मेदारी को निभाने के लिए दिल्ली की तरफ रवाना हो गए। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में पुष्कर सिंह धामी को यूं ही स्टार प्रचारक नहीं चुना गया बल्कि उनके युवा नेतृत्व और राज्य में उनके द्वारा लिए गए निर्णय देश की जनता पर दीवानगी बनकर छाए हैं।
शुरुआत में सरल-सहज छवि के लिए जाने वाले धामी ने जब उत्तराखंड में थूक जिहाद, लैंड जिहाद, लव जिहाद और अवैध धर्मांतरण पर कठोर कदम उठाए तो सब ने उनका दूसरा रूप भी देखा। इतना ही नहीं चुनाव के समय समान नागरिक संहिता का वादा कर उसे आज धामी सरकार ने लागू कर उत्तराखंड की राजनीति में एक नई लकीर खींच दी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी, महज कुछ ही दिनों में उन्होंने विभिन्न विधानसभाओं में 32 चुनावी कार्यक्रम कर डाले। मुख्यमंत्री धामी के चुनावी कार्यक्रम में उमड़ी भीड़ से उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री धामी ने दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में भाजपा के लिए समर्थन जुटाया, पार्टी की नीतियों और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को जनता के सामने भी रखा। इतना ही नहीं पुष्कर सिंह धामी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को भी आड़े हाथों लेने से नहीं चूके, पुष्कर धामी ने अरविंद केजरीवाल एवं कंपनी के खिलाफ ऐसे सवाल दागे कि आम आदमी पार्टी पूरी तरह पस्त दिखी।
धाकड़ धामी ने अरविंद केजरीवाल पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें उनके वादों और कार्यों को लेकर भी जमकर धोया। अन्ना आंदोलन के दौरान केजरीवाल का झूठ , दिल्ली का शीशमहल, यमुना नदी में गंदगी और सेना को अपमानित करने जैसे मुद्दों को पुष्कर सिंह धामी बखूबी जनता के बीच ले गए।
दिल्ली में धामी का भाजपा के पक्ष में प्रचार आक्रामक और मुखर रहा और मुख्यमंत्री धामी ने इसे एक नई दिशा दी है। उनके भाषणों से जहां भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है, वहीं दिल्ली की जनता ने भी इस चुनावी जंग को गंभीरता से देखा है। यह देखना अब दिलचस्प होगा कि इस आक्रामक प्रचार के साथ भाजपा दिल्ली में किस प्रकार अपनी राजनीतिक बढ़त बना पाती है।
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