सहरसा | संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए चैनपुर गांव स्थित काली मंदिर परिसर में पं शिवतोष झा की अध्यक्षता मे ग्रामीणों की बैठक आयोजित की गई। भागीरथ उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक उमेश झा ने बताया कि यह धरती संस्कृत विद्वानों की धरती रही है। यहां पहले तोता भी संस्कृत में वार्तालाप किया करते थे। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज भी कण कण में मौजूद है। उन्होंने बताया कि आजादी से पूर्व संस्कृत शिक्षा यहां काफी सुदृढ़ थी। चैनपुर में एक से बढ़कर एक संस्कृत के विद्वान एवं ज्ञाता हुए जिन्होंने संस्कृत शिक्षा का प्रचार प्रसार किया। वहीं भागीरथ उच्च विद्यालय द्वारा बच्चों को आवासीय निशुल्क शिक्षा दी जा रही थी। लेकिन कोरोना काल में इस व्यवस्था को स्थगित करना पड़ा। वही यह व्यवस्था अब पुन: शुरुआत की जा रही है।
भागीरथ उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक उमेश झा ने बताया कि संस्कृत भाषा दुनिया की सबसे समृद्ध भाषा है। संस्कृत भाषा में शब्दों का अथाह भंडार है। वही देववाणी के रूप में भी इसे जाना जाता है। यह भाषा वैज्ञानिकता से भरपूर रोजगारपरक भाषा है। उन्होंने बताया कि दुनिया की सबसे कमजोर एवं समृद्ध भाषा अंग्रेजी है जिसमें मात्रा 26 हजार शब्द है। जबकि गुजराती में 40 हजार मराठी में 78 हजार मैथिली में 80 हजार तथा संस्कृत में डेढ़ लाख से अधिक शब्द मौजूद है। ऐसे में हमें अपने बच्चों को वैज्ञानिक एवं रोजगार पर भाषा संस्कृत की पढ़ाई के लिए निशुल्क व्यवस्था की जा रही है। इस अवसर पर पंडित विनय कुमार झा, अरुण झा, सोहन ठाकुर, मोहन ठाकुर, मुकेश ठाकुर, विमल कांत झा, विक्रम झा, गोपाल मिश्र,विजय मिश्रा, सचिव सुंदरकांड ठाकुर एवं सुनील कामत सहित अन्य मौजूद थे।
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